“Bhopal Gas Tragedy” पर बनी “The Railway Man” सिरीज कि जानदार कहानी और उसके असलियत किरदार के एक्टिगं में दे रहे 16000 मृत लोगो कि श्रद्धांजलि आइए जानते हैं आगे के लेख में।
Bhopal Gas Tragedy Series: पत्रकार समाज का वह आईना होता है जो हमेशा लोगों को सच दिखाता है, बात तब की हो रही है जब भोपाल के पत्रकार राजकुमार केसवानी ने अपने अखबार रपट में कुछ खबरें लिखी थी.. इन खबरों की तीन हैडलाइन- ज्वालामुखी के मुहाने बैठा भोपाल, बचाइए हुजूर इस शहर को बचाइए, और ना समझोगे तो आखिर मिट जाओगे मुख्य थीं।
राजकमार केसवानी लड़ते रहे
राजकुमार केसवानी ने भोपाल में होने वाले सबसे बड़े हादसे Bhopal Gas Tragedy Seriesसे पहले ही देश के सरकार और वहां की आवाम को बताने की कोशिश की थी हालांकि उनकी बात को सब हल्के में ले रहे थे वह अपनी रपट में रिपोर्ट लिखते रहे, लड़ते रहे, फिर भी हादसा हो गया.. हालांकि राजकुमार केसवानी अभी इस दुनिया में नहीं है कोरोना की दूसरी लहर में उनका देहान्त हो गया था उनकी यह लाइन और भोपाल गैस त्रासदी पर रिपोर्ट आज भी लोगों को याद है।
फिल्म और असलियत के बीच का पड़ाव
वह रात थी 2 दिसंबर 1984 की जब यूनियन कंबाइंड की फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव होने लगा, यहां काम करने वाले मजदूर भी कंपनी को जीता रहे थे फिर कंपनी ने बात नहीं मानी और काम चलता रहा… यह फैक्ट्री देश के दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की बस्ती के बीच लगाई गई थी इसकी अनुमति कैसे और क्यों मिली भोपाल के करीब 16000 रहने वाले वासियो को मौत की नींद सुलाने वाली अमेरिकी कंपनी के कर्मचारी और मालिक देश से भाग गए कैसे? किसका हाथ था? किसकी सह मिली? इन सब मामलों पर पिछले 35 साल से बात चल रही है।(Bhopal Gas Tragedy Series)
फिल्म और असलियत के वो चार हीरो
The Railway Man Review: इसके बाद वे इसकी पड़ताल करने में लग जाते हैं वह तत्काल पुलिस और प्रशासन को भी आधे हाथ लेते हैं कहानी उनके नजरिए से चलती है इसके साथ ही भोपाल जंक्शन का स्टेशन मास्टर की भी कहानी है, अपने बेटे को सरकारी नौकरी करने को कहता है लेकिन लड़का प्राइवेट नौकरी करता है. एक विधवा मां है जिसका बेटा भी यूनियन कार्बाइड में काम करता है, अब वह रेलवे में लग जाता है… और पत्रकार की मदद करता है यहां एक और किरदार है जो लूट करता है… वह 2 दिसंबर की रात को भोपाल स्टेशन में लूट करने आया था इसी बीच भोपाल में गैस का रिसाव हो जाता है लोग मर जाते हैं चारों तरफ अफरा-तफरी मची है स्टेशन का कम्युनिकेशन सिस्टम बंद है मदद नहीं मिल सकती है सीरीज The Railway Man Reviewकी कहानी इन चार लोगों की है जो किस प्रकार हजारों जानों को बचाते हैं।
कौन किसका किरदार निभा रहा हैं
पत्रकार राजकुमार केसवानी का किरदार सनी हिंदुजा निभाते हैं सनी हिंदुजा दिन प्रतिदिन अपने अभिनय से हैरान कर रहे हैं उन्होंने 80 के दशक के एक आदमी का किरदार बेहतरीन निभाया है सीरीज की शुरूआत उनके किरदार से होती है यही से वह चाहते हैं, की दर्शक को सीरीज पूरी देखकर उठाना है, इसी सीरीज में The Railway Man Reviewस्टेशन मास्टर का किरदार निभाते हैं केके मेनन… इस सीरीज के पहले उन्होंने भोपाल पर ही बेस्ड लव ऑल में काम किया था. इसी सीरीज में दिव्येंदु शर्मा इन्होंने लुटेरे का किरदार निभाया है इतनी सीरियस कहानी है और डायलॉग में भी उन्होंने अपने अंदाज में गुदगुदा दिया है और माधवन ने रति पांडे रेलवे स्टेशन के जनरल मैनेजर का किरदार निभाया है. माधवन यह साबित करते हैं कि उन्हें इस दौर में इतनी लोकप्रियता क्यों मिल रही है जूही चावला कर्मियों में है लेकिन वह भी दर्शकों को प्रभावित कर रही हैं. रेलवे गार्ड की भूमिका में नजर आए रघुवीर यादव ने अपनी छाप छोड़ी है इसके अलावा सुनीता राजभर, मनीष वाधवा, आदित्य शुक्ला, भूमिका दुबे, दिव्येंदु भट्टाचार्य, बाबिल जैसे अन्य किरदार भी इस सीरीज मैं हर किरदारों को बेहद ही बेहतरीन तरीके से निभा रहे हैं।
धासुड़ एडिटिंग और मुख्य किरदार
इस सीरीज की कहानी को आयुष गुप्ता ने लिखा है, शिव राहुल पिछले दास साल से यशराज फिल्म से जुड़े हुए हैं यह उनका निर्देशन के रूप में पहला काम है उन्होंने अपने किरदार को इतना जोरदार किया है कि आगे उनसे और बेहतर की उम्मीद की जाएगी शिव राहुल रावल के बेटे हैं, इस सीरीज में शिव ने डायरेक्शन के साथ हर डिपार्टमेंट में मेहनत की है जो पर्दे पर दिखती है सीरीज की कास्टिंग देख शानू शर्मा की तारीफ बनती है उन्होंने एक-एक सीन के लिए परफेक्ट किरदार चुने हैं सीरीज तकनीकी रूप से भी बेहद शानदार है इस सीरीज के प्रोडक्शन, डिजाइनिंग, एडिटिंग, सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग टीम ने भी शिवरावेल ने अपनी नजर गड़ाए रखी हैं।
फिल्म के जरिए दी श्रद्धांजलि
यह सिरीज वर्तमान में उन वीरों को श्रद्धांजलि के तौर पर बनता है जो उस समय बचाव कार्य कर रहे थे चाहे प्लांट में काम कर रहे हैं कमरुद्दीन हो, या पत्रकार के साथ मिलकर यूनियन कार्बाइड का सच उजागर करने की चाहत रखने वाला इमाद रियाज, सीरीज में हर एक चीज इतनी बड़ी तरीके से की है आप इसे पूरा देखे बिना नहीं उठ पाएंगे।
क्या है भोपाल गैस त्रासदी?
1984 की भोपाल गैस त्रासदी को देश की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटना माना जाता है, एक केमिकल फैक्ट्री से हुई जहरीली गैस का रिसाव से रात को सो रहे हजारों लोग हमेशा के लिए मौत की नींद सो गए इतना ही नहीं त्रासदी का असर लोगों की अगली पीढ़ियों तक ने भुगता मगर सबसे दुखद बात यह है कि हादसे की जिम्मेदार आरोपी को कभी सजा नहीं हुई.
16000 से अधिक लोगों की मौत
भोपाल में मरने वालों की संख्या लगभग 16000 से अधिक थी करीब 5 लाख जीवित बचे लोगों को जहरीली गैस के संपर्क में आने के कारण सांस की समस्या, आंखों में जलन या अंधापन और अन्य कई सारी बीमारियां होने लगी।
470 मिलियन डॉलर का मुआवजा
इस हादसे के बाद यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन ने 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मुआवजा दिया हालांकि पीड़ितों ने ज्यादा मुआवजे की मांग के साथ न्यायालय का दरवाजा खटखटाया 7 जून को भोपाल की एक अदालत ने कंपनी के साथ अधिकारियों को हद से सिलसिले में 2 साल की सजा सुनाई उस वक्त UCC के अध्यक्ष वारेन एंडरसन मामले के मुख्य आरोपी थे लेकिन मुकदमे के लिए पेश नहीं हुए।
एंडरसन को नहीं मिली सजा
1 फरवरी 1992 को भोपाल के कोर्ट ने एंडरसन को फरार घोषित कर दिया, इसके बाद अदालत ने एंडरसन के खिलाफ 1992 और 2009 में दो बार गैर जमानती वारंट भी जारी किया मगर उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी सितंबर 2014 में एंडरसन की स्वाभाविक मौत हो गई और उसे कभी इस मामले में सजा नहीं भुगतना पड़ा।
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